भिण्ड। भिण्ड जिला जो पहले डकैतों के कारनामो से सुर्खियों में रहता था। आज कल अवैध खनन के चलते सुर्खियों में रहता है। जी हा भिण्ड जिसका नाम लेते ही खून में उबाल आ जाता है। एक समय भिण्ड में अवैध हथियारों का काला कारोबार चलता था। अब अवैध रेत खनन चलता है। हालांकि अवैध हथियारों को पुलिस विभाग पकड़ता था। लेकिन अवैध रेत खनन में उसका उल्टा है। अब पुलिस के हर थाने पर कुछ लोग रात को एक टोर्च लेकर मिल जायगे। ये है बसूली भाई यानी पुलिस के संरक्षण में पुलिस के लिए ट्रकों से अवैध बसूली करने बाले।
अब बात करते है एक ऐसे थाना प्रभारी की जो इस सब से भी आगे की सोचता था। जी हां बो थाना प्रभारी जो भिण्ड जिले के एक रेत के इलाके का थाना प्रभारी बना और उसने बसूली के साथ ही खनन में लंबे समय तक पैसों को कमाने के लिए खुद के ही किसी ओर के नाम पर 22 चक्का ट्रक बना डाले और वो जब तक उस थाने में रहा तब तक अपने ट्रकों को भरने के लिए अपने थाने के इलाके में एक रिज़र्व अवैध रेत खदान चालू की जहाँ सिर्फ उसके ही ट्रक भरते थे। इस तरह इस थाना प्रभारी ने अपनी बर्दी का दुरुपयोग कर करोडो रुपये बना डाले। और जब इसको थाने से हटाया गया तो इसका अवैध खनन का कारोबार ट्रकों के जरिये चलता रहा।? और अब भिण्ड में हुए इस पुलिस विभाग के फेर बदल में इसने दोबारा अपनी पहुच व पैसे के दम पर दोबारा उसी थाने में आमद दे दी है? जहाँ से ये थाना प्रभारी व खनन माफिया बना था? वही इस फेरबदल पर भी सवाल उठ रहे है। कि आखिर क्यों ये फेर बदल अचानक हुआ। क्या इसके पीछे नेताओ का हाथ है या रेत के थानों की रेट बड़ गई?
खेर सीजन शुरू हो गया है। तो अब आगे आगे देखो होता है क्या?
उक्त लेख जनचर्चा पर आधारित है। इसे बहस का मुद्दा न् बनाया जाए !